अगर यह सच होता तो इसे भी नहीं समझा जा सकता था कि हमारे अनेक भारी उद्योगों संयंत्रों, जो अभी भी लाभदायक नहीं है, और जहाँ मजदूरों के श्रम का समुचित रिटर्न भी नहीं आता है, को बंद क्यों नहीं कर दिया जाता और उसकी जगह हल्का उद्योग संयंत्रों जो निश्चिय यही लाभदायक होते और जहाँ मजदूरों के श्रम का रिटर्न काफी बड़ा आता, क्यों नहीं चालू कर दिया जाता है?